Wellbeing Central
It is becoming challenging to maintain wellbeing while dealing with the modern day complexities. As more and more of us find it difficult to create and maintain harmony in all spheres of life, it is becoming even more important to pay attention to our wellbeing. But first, we need to understand what wellbeing is, and how we can navigate this complex concept.
I asked these question to answer my PhD thesis and found it both personally and professional transformational. That is why I am sharing new insights, through this bilingual podcast, on wellbeing and human development, and hoping to help create a wellbeing movement where more and more of us live a more meaningful and purposeful life.
Through each episode, I challenge deeply held beliefs about wellbeing and human growth and expansion. Audience get a chance to self-reflect and have dialogues with others as they find their own answers after listening to the episodes.
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मेरी माँ की भाषा: संपूर्ण जीवन का एक अहम हिस्सा!
मेरे माता पिता ने मुझे अपनी नेटिव भाषा भोजपुरी सिखायी और इसके कारण हमने जीवन में कई बातें सीखी और जीवन का भरपूर आनंद उठाया।
आज दुनिया भर में पाँच करोड़ लोग भोजपुरी बोलते हैं, पर जैसे जैसे बिहार में राजनीतिक और सामाजिक बदलाव आय, इस भाषा को या तो पिछड़ापन या फिर अश्लीलता से जोड़ा जाने लगा। यह संभव है की कई लोगों ने अपने बच्चों को बिहार की गिरती छवि से बचाने की कोशिश में भोजपुरी नहीं सिखाया।
अपनी भाषा को समझना बहुत ज़रूरी है क्योंकि एक भाषा से हमारी संस्कृति की कई सारी बातें जुड़ी होती हैं, और अगर हमने उसे खो दिया तो फिर धीरे धीरे हमारी पूरी संस्कृति भी ख़त्म हो सकती है। जब एक इमारत की नींव कमजोर होगी तो वह इमारत कितनी मज़बूत होगी?
इस एपिसोड में मैंने एक संपूर्ण जीवन के लिए अपनी भाषा के महत्व को अपने अनुभवों के आधार पर बताया है।
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